The Shodashi Diaries

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The ability stage in the course of the Chakra displays the very best, the invisible, as well as the elusive Centre from which all the figure Bhandasura and cosmos have emerged.

Goddess Tripura Sundari Devi, generally known as Shodashi or Lalita, is depicted having a wealthy iconography that symbolizes her a variety of characteristics and powers. Her divine variety is commonly portrayed as an attractive young woman, embodying the supreme attractiveness and grace of the universe.

देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥

Saadi mantras tend to be more accessible, utilized for basic worship and to invoke the presence from the deity in way of life.

केवल आप ही वह महाज्ञानी हैं जो इस सम्बन्ध में मुझे पूर्ण ज्ञान दे सकते है।’ षोडशी महाविद्या

He was so potent that he produced the whole world his slave. Sage Narada then asked for the Devas to conduct a yajna and in the fire from the yajna appeared Goddess Shodashi.

सर्वसम्पत्करीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥३॥

लक्षं जस्वापि यस्या मनुवरमणिमासिद्धिमन्तो महान्तः

हस्ते चिन्मुद्रिकाढ्या हतबहुदनुजा हस्तिकृत्तिप्रिया मे

कामेश्यादिभिराज्ञयैव ललिता-देव्याः समुद्भासितं

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach

Cultural activities check here like people dances, new music performances, and performs are also integral, serving to be a medium to impart common stories and values, especially into the more youthful generations.

Goddess Shodashi is also referred to as Lalita and Rajarajeshwari meaning "the 1 who plays" and "queen of queens" respectively.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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